महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 315
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 315 वां, इसमें बताया गया है कि सन्तवाणी की विशेषता और मनुष्य का असली जगना क्या है ।
प्रवचन चित्र एक |
सन्तवाणी की विशेषता-
संतवाणी की विशेषता,संतवाणी का पाठ क्यों करें, संतवाणी को अच्छी तरह समझें, संत कबीर साहब की वाणी का अर्थ, मेरी सूरत सुहागिनी जाग री, सूरत का विशेष अर्थ, 'सूरत' शब्द का विशेष अर्थ क्या है, तुलसी साहब कौन थे, तुलसी साहब की पुस्तक की जानकारी,हम स्वप्न देख रहे हैं,हम अभी स्वप्नावस्था में है,संतो के अनुसार जगना क्या है,जगने की क्रिया क्या है,दृष्टि योगकैसे करें,चतुर आदमी का काम नहीं है ध्यान करना,ध्यान की चतुराई इत्यादि के बारे में निम्नांकित चित्र में पढेंगे-
प्रवचन चित्र दो |
प्रवचन चित्र 3 |
प्रवचन चित्र समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि वाणी का विश्लेषण और मनुष्यता के बारे में । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S315, संत कबीर साहब की वाणी का विश्लेषण और मनुष्यता -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/28/2018
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