महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 384
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 384 वां,इसमें बताया गया है कि ईश्वर भक्ति के लिए- गुरु किसे और कैसा होना चाहिए? गुरु कौन होते हैं? कैसे होते हैं? कैसा ज्ञान देते हैं? क्या केवल कान फूकने से ही गुरु हो जाता है।
गुरु महाराज |
ईश्वर भक्ति के लिए गुरु कैसा होना चाहिए-
ईश्वर को प्राप्त करने के लिए ऐसे गुरु की आवश्कता है, जो ईश्वर को प्राप्त किए हों। उनका पहचान क्या है? यह बताना बड़ा कठिन है। फिर भी गुरु महाराज कहते हैं जो सदाचार का पालन करें, ईश्वर-भक्ति करें और दूसरों को ईश्वर-भक्ति करने की प्रेरणा दे, उसे गुरु बनाया जा सकता है ।गुरुु की पहचान कठिन क््य््यों है इस प्रवचन में जानें-
प्रर्वतन चित्र 1 |
गुरु किसे और कैसा होना चाहिए ?
यहां एक बात जान लेना आवश्यक है कि गुरु में आचरण की प्रधानता है। शुद्ध आचरण का होना बहुत आवश्यक है। आचरण की शुद्धता नहीं होने पर उसको गुरु अगर बना लिया है तो भी उसका त्याग करना चाहिए और किसी उत्तम आचरण वाले, योग महापुरुष को ही गुरु बनाना चाहिए। (सत्संग योग भाग-4 पैराग्राफ-82)
प्रवचन चित्र दो |
प्रर्वतन चित्र समाप्त |
शांति संदेश कबर |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ईश्वर भक्ति के लिए- गुरु किसे और कैसा होना चाहिए? गुरु कौन होते हैं? कैसे होते हैं? कैसा ज्ञान देते हैं? क्या केवल कान फूकने से ही गुरु हो जाता । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
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S384, ईश्वर भक्ति के लिए- गुरु किसे और कैसा होना चाहिए -सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
9/11/2018
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