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S495, गुरु भक्ति का महत्व।। ध्यान कठिन क्यों है? -महर्षि मेंहीं

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" /  495

      प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 495 वां, इसमें बताया गया है कि संतमत सत्संग की विशेषता क्या है? गुरु सेवा, गुरु सेवा का महत्व, गुरु भक्ति का महत्व, शासन की विशेषता, शासन में रहना जरूरी क्यों है? संघ और धर्म के शासन का महत्व

S495, गुरु भक्ति का महत्व।। ध्यान कठिन क्यों है? -महर्षि मेंहीं,पूज्यपाद गुरुदेव
पूज्यपाद गुरुदेव




संतमत सत्संग की विशेषता क्या है

     जितने भी पंथ संप्रदाय हैं, उन सबों का सार ज्ञान जो है वह संतमत में लिया गया है। सार ज्ञान है ईश्वर की भक्ति। जितने  पंथ संप्रदाय हैं सबमें ईश्वर की भक्ति की बात है । बिंदुध्यान, नादध्यान के द्वारा ईश्वर भक्ति की पूर्णता होती है। विशेष इस प्रवचन में-

S495, गुरु भक्ति का महत्व।। ध्यान कठिन क्यों है? -महर्षि मेंहीं, प्रवचन चित्र
प्रवचन चित्र

S495, गुरु भक्ति का महत्व।। ध्यान कठिन क्यों है? -महर्षि मेंहीं, प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  संतमत सत्संग की विशेषता क्या है? गुरु सेवा, गुरु सेवा का महत्व  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


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S495, गुरु भक्ति का महत्व।। ध्यान कठिन क्यों है? -महर्षि मेंहीं S495, गुरु भक्ति का महत्व।। ध्यान कठिन क्यों है? -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 9/04/2018 Rating: 5

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