महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 180
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 180 वां, इस संतमत प्रवचन में बताया गया है Dhan sambandhy Best Hindi Anmol Suvichar क्या क्या है। तो आइए गुरु महाराज का प्रवचन पढ़ें-
सदा पूजनीय गुरुदेव |
Dhan sambandhy Best Suvichar
जीवन में धन की बहुत आवश्यकता है, पर धन ही सब कुछ है । ऐसा समझ कर व्यक्ति को नहीं रहना चाहिए। धन से विशेष ईश्वर भक्ति है, क्योंकि वह इस लोक और परलोक दोनों ने सुखी करता है।
प्रवचन चित्र एक |
ईश्वर भक्ति ही सुन्दर विचार है-
ईश्वर भक्ति कैसे करना है? इसके लिए पनिहारी की उपमा दिए हैं। इसमें संसार के सब कामों को करते हुए भी अपना मुख्य ध्यान ईश्वर के निर्गुण स्वरूप के जाप में लगाना चाहिए। ऐसा बताया गया है। इसके लिए सदाचार का पालन यानि झूठ, चोरी, नशा, हिंसा और व्यभिचार से बचते हुए रहना चाहिए ।
प्रवचन चित्र दो |
प्रभु प्रेमियों ! इन चित्रों में S181 गलती से छप गया है। इसके स्थान पर S180 पढ़ें। क्योंकि यह इसी क्रमांक का प्रवचन चित्र है।
प्रवचन चित्र समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि Dhan sambandhy Best Hindi Anmol Suvichar क्या क्या हैं । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
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S180, संतमत प्रवचन- Dhan sambandhy Best Hindi Anmol Suvichar -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
10/05/2018
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