S250, (ग) संसार के सभी आनंदों से श्रेष्ठ है, ध्यान का आनंद -महर्षि मेंहीं
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सत्संग ध्यान
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7/28/2018
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S250, (ख) मैं ईश्वर भक्ति कराकर,देश की जड़ को मजबूत करता हूं । -महर्षि मेंहीं
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7/28/2018
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S250, (क) पंच पापों को छोड़ दीजिए, नहीं तो ईश्वरीय सजा से नहीं बचेंगे।
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7/28/2018
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S466, (ख) मोक्ष क्या है? संतमत का सार, पापों को छोड़ें -सद्गुरु महर्षि मेंही
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7/25/2018
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S466, (क) मोक्ष क्या है? संतमत का सार, पापों को छोड़ें -सद्गुरु महर्षि मेंही
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7/25/2018
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S467, ईश्वर भक्ति में तीन बातें परमावश्यक- स्तुति, प्रार्थना और उपासना -महर्षि मेंहीं
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7/25/2018
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S488, सत्संग में बाधा देने वाला ईश्वरीय दंड का अधिकारी है -महर्षि मेंहीं
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7/24/2018
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