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S343, गुरु महाराज का प्रवचन-मन की शांति, मोक्ष की प्राप्ति, सिर्फ ध्यान से

     प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S343, इसमें  बताया गया है कि मोक्ष की बातें, ईश्वर भक्ति, सत्संग आदि। सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के प्रवचन संग्रह 'महर्षि मेंही सत्संग सुधा सागर' के अलावा 'महर्षि मेंही वचनामृत' ,  "महर्षि मेंही अनुभव प्रकाश" आदि है । आइए इस प्रवचन को सुनने के पहले गुरु महाराज का दर्शन करें-

गुरुदेव भक्तों के साथ
गुरुदेव भक्तों के साथ



प्रवचन परिचय
प्रवचन परिचय

प्रवचन चित्र एक
प्रवचन चित्र एक

प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो

प्रवचन चित्र 3
प्रवचन चित्र 3

प्रवचन चित्र 4
प्रवचन चित्र 4

प्रवचन चित्र 5
प्रवचन चित्र 5

प्रवचन चित्र 6
प्रवचन चित्र 6

प्रवचन चित्र 7
प्रवचन चित्र 7
 स्त्री, पुरुष, लड़का सभी कर सकते हैं। इसमें रोक-टोक कुछ नहीं होता है, उकतावे नहींं। जिस उपाय से गुरु बतावे, सो करें। महायोगी हो जाएगा। शरीर मरता है, केवल स्थूल शरीर मरता है । बाकी तीन शरीर योगाभ्यास से छूटता है। चेतन आत्मा इन शरीरों के साथ तब तक रहती है, जब तक पूर्ण योग नहीं हो जाए। बहुत पवित्र काम है। इसके लिए अपने हृदय को खुब पवित्र रखना होगा । झूठ नहीं बोलो, चोरी मत करो, व्यभिचार नहीं करो, परस्र्तीगमन, परपुरुष गमन नहीं करो, कोई नशा नहीं लो। नशा लेने से पैसे बर्बाद करते हैं। हिंसाओं को नहीं करो। तन से, मन से, वचन से - जीवों को दुख मत दो। बिना किसी जीव को मारे, मांस नहीं खाया जाता है। इसलिए मत्स्य - मांस का खाना भी छोड़ो। हमारे यहां का ऐसा जलवायु है, जहां मांस-मछली का कोई काम नहीं है। अन्न, दूध  और गुड़ तीनों हो गए, तो और कुछ पौष्टिक नहीं चाहिए। मांस मछली की कोई जरूरत नहींं। एक बात और देखिए कि इससे राज्य को क्या लाभ, जो पंच पापों से बचेगा। वह किसी से लड़ेगा झगड़ेगा नहीं। सत्य बोलेगा । दूसरे से प्रेम होगा, प्रेम से मेल होगा । मेल से बल बढ़ेगा। बल बढ़ाने की बड़ी आवश्यकता है देश को। पंच पापों को छोड़ने से दुष्कर्म नहीं होगा। तब जो दुष्टों को दमन करने का राज का खर्च है, प्रबंध है उसकी आवश्यकता नहींं रहेगी । आपस में मेल होगा । पैसे बचेंगे, देश में कल्याण होगा। खूब संयम से रहिए। ईश्वर भक्ति कीजिए। ईश्वर भक्ति करने वाले को, पापों से छूटने के लिए बड़ी जरूरत मालूम होती है। धन उपार्जन  के लिए पापों से बचने की कोई जरूरत लोग नहीं समझते हैं। जो ईश्वर की भक्ति से विमुख होंगे । वे सुख से विमुख रहेंगे। श्री सदगुरु महाराज की जय। प्रवचन समाप्त।
     प्रभु प्रेमियों ! उपर्युक्त प्रवचन सुनकर आप समझ गए होंगे कि ईश्वर भक्ति के बिना मोक्ष नहीं, कल्याण नहीं , तृप्ति नहीं, शांति नहीं। इतनी जानकारी के बावजूद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका  या कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं। जय गुरु महाराज।
  जिन लोगों को उपर्युक्त चित्र पढ़ने में दिक्कत है वह कृपया निम्न वीडियो देखें इसमें इसी प्रवचन का पाठ किया गया है -



S343, गुरु महाराज का प्रवचन-मन की शांति, मोक्ष की प्राप्ति, सिर्फ ध्यान से S343, गुरु महाराज का प्रवचन-मन की शांति, मोक्ष की प्राप्ति, सिर्फ ध्यान से Reviewed by सत्संग ध्यान on 2/17/2018 Rating: 5

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