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महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा-सागर प्रवचन नंबर 3
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संतमत में खानपान का महत्व और ध्यान योग
प्रभु प्रेमियों ! सदगुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- संतमत ईश्वर भक्ति उपदेश करके सभी दुखों से छूटने के लिए कहता है। मनुष्य शरीर पाकर भक्ति करके सभी दुखों से छुटा जा सकता है। स्वर्ग लोक से लेकर ब्रह्म लोक तक हर जगह कोई-न-कोई दुख है । इसीलिए हर तरफ से मन को हटाकर ईश्वर-भक्ति में लगाना चाहिए। इसके लिए भोजन का संभाल जरुरी है। भोजन का संयम करते हुए भक्तों को ईश्वर कौन है, कहां है, कैसा है? संतमत की विशेषता क्या है? स्वर्ग का वर्णन, स्वर्ग सुख, ब्रह्मलोक, ब्रह्मलोक क्या है? तीन लोक क्या है? ध्यान क्रिया, ध्यान कैसे लगायें, ध्यान की व्याख्या, ध्यान का अर्थ, ध्यान के प्रकार, ध्यान के लाभ, ध्यान का महत्व, शब्द शक्ति, शब्द रूप, शब्द रूप क्या है? भोजन कैसा हो, भोजन कैसे करना चाहिए, भोजन के नियम, संतमत खाना, खाना कैसे खाएं ? आदि बातों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। सदगुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज इस प्रवचन में इन्हीं बातों को बताया है। अत: इस प्रवचन के लिपि चित्र को जूम यानि ( बड़ा) कर-करके पूरा मनोयोग पूर्वक पढें-
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शांति संदेश में गुरुदेव प्रवचन चित्र 1 |
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शांति संदेश में गुरुदेव प्रवचन चित्र दो |
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शांति संदेश में गुरुदेव प्रवचन चित्र 3 |
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शांति संदेश में गुरुदेव प्रवचन चित्र 4 |
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शांति संदेश में गुरुदेव प्रवचन चित्र 5 |
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा-सागर में प्रकाशित प्रवचन नंबर 3 का लिपि चित्र (प्रथम संसकरण का )--
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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके हमलोगों ने जाना कि
संतमत में खान-पान का विवरण कैसा हो, संतुलित आहार का महत्व,
खान-पान का
स्वास्थ्य पर प्रभाव, आहार आहार का महत्व,
भोजन का प्रभाव विषय पर चर्चा आदि । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग
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