महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 76
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है । आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर ७६ को । इसमें पाप काटने या मिटाने का प्रमाणिक शास्त्रीय उपाय क्या है? । ऐसा बताया गया है। इस विषय को पढ़ने के पहले सदगुरु महाराज का दर्शन करें, फिर उनका प्रवचन पढ़ेंगें।
इसी प्रवचन को लेख रूप में पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- धर्मानुरागिनी प्यारी जनता ! अपने देश में ' महाभारत ' नाम से एक बहुत बड़ी पुस्तक है । बहुत लोग पढ़ते हैं । एक ही परिवार के दो नामधारी परिवार थे - एक कौरव और दूसरा पाण्डव ।..... इस तरह प्रारंभ करके गुरुदेव----महाभारत में क्या है? महाराज युधिष्ठिर कैसे थे? क्या पुण्य करने से पाप कट जाता है? क्या भगवान के दर्शन से पाप कटता है? पाप कैसे कटता है? सब धर्मों को कैसे छोड़ सकते हैं? ध्यान योगी कैसा होता है? कर्म कितने तरह का होता है? ध्यान कैसे किया जाता है? ....आदि बातों पर विशेष प्रकाश डालते हैं। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए पढ़ें-
इस प्रवचन के बाद वाले प्रवचन नंबर 77 को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि Puny aur paap ka phal alag-alag milata hai. sagun bhagavaan ke darshan se bhee sampoorn paap ka naash nahin hota hai? puny karane se paap ka naash nahin hota. paap ka naash keval dhyaan yog se hota hai. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।
महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर |
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S76, (ख) पाप नाश का प्रमाणिक उपाय ।। महर्षि मेंहीं के हिंदी प्रवचन ।। 01-04-1954 ई.जमालपुर, मुंगेर
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
2/09/2018
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