प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-'महर्षि मेंही सत्संग सुधा सागर' के प्रवचन S450, को । यह प्रवचन केवल 1960 ईस्वी के शांति संदेश में प्रकाशित है । इस प्रवचन में गुरु महाराज गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास आदि संतो को केवल सगुन भक्ति विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि पूरृण भक्त संत मानते हैं। इसी विषय पर यह प्रवचन है । इस पहले भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
बांकी भाग पढ़ने के पहले गुरु महाराज का दर्शन करें-गुरुदेव निवास का चित्र |
प्रवचन चित्र 6 |
प्रवचन चित्र 7 |
प्रवचन चित्र 8 |
प्रवचन चित्र 9 |
प्रवचन चित्र 10 |
प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने गुरु महाराज के प्रवचन में जाना कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज और सूरदास जी महाराज केवल सगुण भक्ति में ही नहीं, बल्कि भक्ति के संपूर्ण अंगों के जानकार थे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करें-
S450, (ख) संत सब एक ही भक्ति करते हैं सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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3/16/2018
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