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S235, (क) कोई विकार उत्पन्न न हो,तो कितना चैन होगा,बिचारिये

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S235, इसमें  बताया गया है कि शरीर के अंदर मन एक इंद्रिय है । यह बड़ा चंचल है । हमेशा विषयी होकर रहता है। चाहे वे राजा, राष्ट्रपति, सेनापति, विद्वान, धनवान और कंगाल कोई हों । इन विकारों से सताए जाते हैं। ये सभी बंधन है । इन बंधनों से छूट जाने पर कैसा होगा, विचार कीजिए । कोई विकार उत्पन्न ना हो, तो कितना चैन होगा विचारिये।  इसी तरह  ईश्वर-परमात्मा की भक्ति कैसे करें? ईश्वर-भक्ति का सही तरीका क्या है? जिससे सभी कष्टों से  छुटकारा हो जाए । प्रवचन पढ़ने के पहले गुरुदेव के दर्शन करें-

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प्रसन्न मुद्रा में गुरुदेव
प्रसन्न मुद्रा मैं गुरुदेव


प्रवचन चित्र एक
प्रवचन चित्र 1

प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो

      प्रभु प्रेमियों ! इस प्रवचन का शेष भाग दूसरे पोस्ट में पढ़ेंगे। शेष प्रवचन पढ़ने के लिए ।     यहां दबाएं।


S235, (क) कोई विकार उत्पन्न न हो,तो कितना चैन होगा,बिचारिये S235, (क) कोई विकार उत्पन्न न हो,तो कितना चैन होगा,बिचारिये Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/31/2018 Rating: 5

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