प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-। "S235, कोई विकार उत्पन्न न हो,तो कितना चैन होगा,बिचारिये" प्रवचन का शेष भाग को। इसमें बताया गया है कि शरीर के अंदर मन एक इंद्रिय है । यह बड़ा चंचल है । हमेशा विषयी होकर रहता है। चाहे वे राजा, राष्ट्रपति, सेनापति, विद्वान, धनवान और कंगाल कोई हों । इन विकारों से सताए जाते हैं। ये सभी बंधन है । इन बंधनों से छूट जाने पर कैसा होगा, विचार कीजिए । कोई विकार उत्पन्न ना हो, तो कितना चैन होगा विचारिये। इसी तरह ईश्वर-परमात्मा की भक्ति कैसे करें? ईश्वर-भक्ति का सही तरीका क्या है? जिससे सभी कष्टों से छुटकारा हो जाए । इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
गुरुदेव व्हीलचेयर पर। |
प्रवचन चित्र 3 |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने गुरु महाराज के प्रवचन सुने, पढ़ें । इससे आपको ज्ञात हो गया होगा की साधना कैसे करें जिससे मनोविकारों से छूट जाए। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में कोई शंका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। गुरु महाराज के 400 से भी अधिक प्रवचनों को पढ़ने के लिए आप सत्संग ध्यान ब्लॉग के सदस्य बने। जिससे जब भी कोई प्रवचन लोड होगा । तो इसकी सूचना आपको निशुल्क मिलती रहे ।
S235, (ख) कोई विकार उत्पन्न न हो,तो कितना चैन होगा,बिचारिये
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
3/31/2018
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