प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S57, इसमें बताया गया है कि सांप्रदायिकता दूर कर सत्संग और ईश्वर-भक्ति कैसे करें? सांप्रदायिक भाव आज कल बहुत बड़ा दंगा फसाद का कारण है । इस संप्रदायिक भाव से हम लोग कैसे ऊपर उठ सकते हैं। इसके लिए हम लोगों के अंदर में जो संकीर्ण भाव हैं। उसका खात्मा करने के लिए जो उपाय हैं, उस उपाय के बारे में इस प्रवचन में बहुत ही खुलासा किया गया है और सत्संग की महिमा एवं ईश्वर भक्ति के बारे में बताया गया है साथ ही ईश्वर-भक्ति का सही तरीका क्या है? प्रवचन पाठ करने के पहले आइए गुरु महाराज का दर्शन करें-
|
पलंग पर गुरुदेव |
|
प्रवचन चित्र एक |
|
प्रवचन चित्र दो |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज का यह प्रवचन लंबा है अतः इस प्रवचन के 2 पृष्ठ को दूसरे पोस्ट में पढ़ेंगे । वहां तक जाने के लिए
यहां दबाएं।
कोई टिप्पणी नहीं:
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।