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S224, सत्संग सुधा--22/2/1966ई.का प्रवचन, सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर  S224, इसमें  बताया गया है  कि सत्संग सुधा--22/2/1966 ई. का प्रवचन है।  जन्म मरण रूपी दुख से छूटने के लिए ईश्वर भक्ति करना चाहिए। रामायण, महाभारत, गीता आदि भी इस बात की पुष्टि करती है । मनुष्य जीवन में ईश्वर भक्ति से बढ़िया और कुछ काम नहीं है। भोजन के लिए खेती करना भी जरूरी है।

प्रवचन चित्र
प्रवचन चित्र


प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो

प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि   जन्म मरण रूपी दुख से छूटने के लिए ईश्वर भक्ति करना चाहिए। रामायण, महाभारत, गीता आदि भी इस बात की पुष्टि करती है । मनुष्य जीवन में ईश्वर भक्ति से बढ़िया और कुछ काम नहीं है। भोजन के लिए खेती करना भी जरूरी है  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


S224, सत्संग सुधा--22/2/1966ई.का प्रवचन, सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस S224, सत्संग सुधा--22/2/1966ई.का प्रवचन, सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/24/2018 Rating: 5

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