प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S453, इसमें बताया गया है कि सत्संग करना ईश्वर की भक्ति है। ईश्वर भक्ति के बारे में कई तरह की भ्रांतियां समाज में व्याप्त है। इसलिए गुरु महाराज इस प्रवचन में समझाते हैं कि ईश्वर भक्ति का सही स्वरूप क्या है? जो धर्म शास्त्रों में भी वर्णन है और सभी पहुंचे हुए संतों को भी स्वीकार्य है। सत्संग करना भी ईश्वर भक्ति है अर्थात ईश्वर भक्ति का ही अंग है। इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए। यहां दवाएं।
गुरुदेव के चित्र |
प्रवचन चित्र 3 |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! इस प्रवचन का पाठ करके आपको कैसा महसूस हुआ, अपने विचार अवश्य व्यक्त करें । प्रवचन पढ़ने के दौरान अगर और कोई प्रश्न हो तो वह भी लिखें। जय गुरु महाराज।
S453, (ख) सत्संग करना ईश्वर की भक्ति है। -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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5/07/2018
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