प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S198, इसमें बताया गया है कि गीता के अनुसार सब कर्मों को छोड़कर भगवान के शरण में कैसे जाया जाए? यह बहुत ही गंभीर विषय है । क्योंकि Arjun पहले से ही भगवान के शरण में थे । फिर भी उनको शरण में जाने के लिए कहा जा रहा है, इस बात को सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज बहुत अच्छी तरह से समझा रहे हैं इस प्रवचन मे । इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए। यहां दबाएं।
शांति संदेश |
प्रवचन चित्र 3 |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि गीता के अनुसार सब कर्मों को छोड़कर भगवान के शरण में कैसे जाया जाए । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S198, (ख) गीता के अनुसार भगवान की शरण में कैसे जाएं। -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/03/2018
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।