प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S484, इसमें बताया गया है कि विभिन्न संतों की दृष्टि में ईश्वर का स्वरूप क्या है। मनुष्य प्राय: ईश्वर की भक्ति इसलिए करता है कि वह सारे दुखों से छूटकर, परम सुख शांति को प्राप्त करें। लेकिन वह परम सुख शांति प्राप्त करने के लिए जो ईश्वर की भक्ति है, वह भक्ति क्या है? उसको कैसे करें और वह ईश्वर कहां मिलेंगे? जिनका दर्शन कर, हम लोग उनकी सेवा सत्कार कर सकते हैं। जिससे वह प्रसन्न होकर करके हमको सुख शांति प्रदान करें । वह ईश्वर कैसा है?उस ईश्वर के स्वरूप को जाने बिना हम लोग सही मायने में ईश्वर-भक्ति नहीं कर सकते । इसलिए ईश्वर स्वरूप का ज्ञान होना बहुत जरूरी है? इस प्रवचन में विविध संतों की वाणीओं के द्वारा, उनके पदों के द्वारा समझाया गया है कि ईश्वर कैसा है? इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए
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प्रवचन चित्र 3 |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि विभिन्न संतों की दृष्टि में ईश्वर का स्वरूप क्या है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S484, (ख) विभिन्न संतों की दृष्टि में ईश्वर का स्वरूप क्या है -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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7/12/2018
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