महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 497
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 497 वां, इसमें बताया गया है कि चिंता का कारण इच्छा है, इच्छा वाले को आराम नहीं, चैन नहीं।
साधकों के कर्तव्य |
चिंता से मुक्ति और संतुष्टिदायक सुख
चिंता से मुक्ति और संतुष्टिदायक सुख के लिए ध्यान करना होगा। ध्यान क्या है इसको समझने के लिए सत्संग करना होगा। इन्हीं बातों को बताते हुए गुरु महाराज निम्न विषयों पर कहते हैं-
प्रवचन चित्र |
ईश्वर संबंधी कथा बाहर का सत्संग है, निर्वाण या मोक्ष क्या है, अध्यात्म हीन राजनीति, गुरु की आवश्यकता, शांति के लिए मन बस करो, तुरिया अवस्था में चलना कैसे होगा, मोक्ष के लिए परहेज, संतुष्टिदायक सुख के लिए ध्यान करें।
प्रवचन समाप्त |
नीचे भगवान बुद्ध के बाणी दिया गया है-
भगवान बुद्ध की बाणी |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि चिंता का कारण इच्छा है, इच्छा वाले को आराम नहीं, चैन नहीं, अतः इच्छाओं को कम करें । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
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S497, चिंता से मुक्ति और संतुष्टिदायक सुख के लिए ध्यान करें।। -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
9/01/2018
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