महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 78
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है । आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर ७८ को । इसमें ईश्वर का स्वरुप अत्यंत कठिन विषय है? इसको सरलता से समझाने के लिए इस प्रवचन में जो-जो उदाहरण दिए हैं, वह अत्यंत महत्वपूर्ण और सरल है। जिसको पढ़ने के बाद, सुनने के बाद आप सहज में ही समझ जाएंगे कि ईश्वर का स्वरुप वास्तव में कैसा है। ऐसा बताया गया है।
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- धर्मानुरागिनी प्यारी जनता ! आपके सामने उपनिषद् का पाठ और कबीर साहब , गुरु नानक साहब , गोस्वामी तुलसीदासजी स्वामी विवेकानंद और भगवान बुद्ध के वचन का पाठ हुआ ।..... इस तरह प्रारंभ करके गुरुदेव----God philosophy should be so that you do not have any kind of hunger, because of which you suffer. You will find that original man, whom he will never get rid of, and you will not have the quality to leave him. This is Brahman Nirvana. How is God Recognized easily, understand easily, the nature of God, God philosophy,....आदि बातों पर विशेष प्रकाश डालते हैं। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए पढ़ें-
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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि The status of God is definitely due to logic, reason, wisdom and scripture. Those who do not believe in God will also understand God by reading this sermon. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।
महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर |
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S78, (ग) ईश्वर का स्वरुप कैसा है? सरलता से समझें ।। महर्षि मेंही सत्संग-सुधा ।। 22-04-1954 ई.
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/22/2018
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