महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर/255
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी)
प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 255, इसमें बताया गया है कि
ईश्वर भक्ति में शीलता और सदाचार का महत्व कितना है ? लोग कितने भी बड़े हो जाएं, लेकिन जिनमें नम्रता नहीं है, जिनके पास शीलता नहीं है, तो उसका ईश्वर भक्ति क्षेत्र में विकास हो पाना मुश्किल है । उसका आत्मिक विकास होना मुश्किल है । इन्हीं सब बातों से संबंधित यह प्रवचन है।
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परमाराध्य गुरुदेव |
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सत्य की परिभाषा |
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मृत्यु निश्चित है |
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रामायण में ईश्वर स्वरूप
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