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S380, संत कबीर साहब की वाणी में- गुरु भक्ति का महत्व -महर्षि मेंहीं

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" /  380

      प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 380 वां, इसमें बताया गया है कि संत कबीर साहब की वाणी 'बिन सतगुरु नर रहत भुलाना, खोजक फिरत राह नहीं जाना ।' का भावार्थ और कथा । गुरु की महत्ता पर चर्चा। सत्संग ध्यान की विशेषता

सद्गुरु महर्षि मेंही व अन्य संत,
सद्गुरु महर्षि मेंहीं वह अन्य संत


सत्संग ध्यान की विशेषता

     सत्संग ध्यान करने वाला धीरे-धीरे तरक्की करके मोक्ष को प्राप्त कर लेता है और सदा के लिए सुखी हो जाता है। हर तरह के दुख से मुक्त हो जाता है इसलिए सत्संग ध्यान अन्य कामों की अपेक्षा विशेष जरूरी है ।

गुरुदेव प्रवचन
गुरुदेव प्रवचन


प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त
      प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  संत कबीर साहब की वाणी 'बिन सतगुरु नर रहत भुलाना, खोजक फिरत राह नहीं जाना ।' का भावार्थ और कथा । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


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S380, संत कबीर साहब की वाणी में- गुरु भक्ति का महत्व -महर्षि मेंहीं S380, संत कबीर साहब की वाणी में- गुरु भक्ति का महत्व  -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 9/05/2018 Rating: 5

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