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S494, Important-discourse।।दृष्टियोग और नादानुसंधान ? -महर्षि मेंहीं

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" /  494

      प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 494 वां, इसमें बताया गया है कि संतों ने जो दृष्टियोग और नादानुसंधान करने की बात कही है, वह केवल गप नहीं है, हकीकत है। करके देखने की बात है । 

S494, Important-discourse।।दृष्टियोग और नादानुसंधान ?  -महर्षि मेंहीं, पूज्यपाद गुरुदेव,
पूज्यपाद गुरुदेव




दृष्टियोग और नादानुसंधान

     संतों ने जो दृष्टियोग और नादानुसंधान करने की बात कही है, वह केवल गप नहीं है, हकीकत है। करके देखने की बात है । दृष्टियोग की पूर्णता होने पर ही नादानुसंधान करना चाहिए और उसकी दीक्षा भी लेनी चाहिए । इस बात की दृढ़ता गुरु महाराज दिलाते हैं । गुरु महाराज के दर्शन की महिमा वही जानते हैं जो लोग उनके दर्शन को तरसते थे।

S494, Important-discourse।।दृष्टियोग और नादानुसंधान ?  -महर्षि मेंहीं, प्रवचन चित्र
प्रवचन चित्र

     गुरु महाराज अपनी उम्र का हवाला देकर और अपने जीवन भर के खोज, अनुसंधान और ध्यान करने की बात कह कर बताते हैं, कि दृष्टि योग और नादानुसंधान की बात बिल्कुल सही है। हमारे बात पर विश्वास कीजिए।

S494, Important-discourse।।दृष्टियोग और नादानुसंधान ?  -महर्षि मेंहीं, प्रवचन चित्र समाप्त।
प्रवचन चित्र समाप्त
     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  संतों ने जो दृष्टियोग और नादानुसंधान करने की बात कही है, वह केवल गप नहीं है, हकीकत है  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


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S494, Important-discourse।।दृष्टियोग और नादानुसंधान ? -महर्षि मेंहीं S494, Important-discourse।।दृष्टियोग और नादानुसंधान ?  -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 9/06/2018 Rating: 5

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