महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 504
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 504 वां, भारत देश के, बिहार प्रांत के मुरादाबाद जिलांतर्गत मुरादाबाद सत्संग मंदिर में आयोजित संतमत सत्संग में दिनांक-03-10-1949 ई. को अपराह्न काल में हुआ था।
इस संतमत प्रवचन में आप जानेंगे- ध्यान, नाद ध्यान की चर्चा, नाद ब्रह्म ध्यान,ब्रह्म नाद क्या है, नाद मैडिटेशन टेक्निक्स,नाद योग की साधना और सिद्धि,नाद योग समाधि, नाद रहस्य,नाद की परिभाषा क्या है, ईश्वर का स्वरूप, ईश्वर के गुण, ईश्वर क्या है हिंदी में, सबसे बड़ा ईश्वर कौन है, सच्चा ईश्वर कौन है,आदि के बारे।
The practice of Nad Yoga and God
सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- ईश्वर कैसा है और उसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं ? ईश्वर निर्गुण, निराकार, अखंड, अनंत है। उसकी प्राप्ति बिंदु ध्यान और नांद ध्यान से ही हो सकती है। पूरी जानकारी के लिए इस प्रवचन को पूरा पढें-
ईश्वर का स्वरूप प्रवचन चित्र |
नाद ध्यान साधना प्रवचन चित्र |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि The practice of Nad Yoga and God। नाद योग की साधना और सिद्धि। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
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S504, The practice of Nad Yoga and God --सद्गुरु महर्षि मेंहीं अमृतवाणी दि.03-10-1949 ई.
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/23/2019
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