Ad1

Ad2

S59, (ख) मरने के समय अच्छी भावना (ध्यान-भजन) बनी रहे, - महर्षि मेंही ।। 23-02-1954ई. कोरका

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 59

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S59, इसमें  बताया गया है कि  सत्संग करने का उद्देश्य क्या है ? हम लोग सत्संग क्यों करते हैं ? सत्संग करने से क्या लाभ है ? लोग एक जगह इकट्ठे होकर, सभा का आयोजन कर ईश्वर, जीव, भगवान, संसार आदि बातों की चर्चा करते हैं। इन बातों का सार क्या है?  हम लोग सत्संग इसलिए करते हैं कि ईश्वर भक्ति की प्रेरणा मिले, ईश्वर भक्ति से सभी दुखों नाश होता है। सत्संग वही उचित है जिस सत्संग में ईश्वर भक्ति की प्रेरणा मिले और आंतरिक सत्संग या ध्यान करने की इच्छा  जागै। 

इसी प्रवचन को लेख रूप में पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।

शांति संदेश मुखपृष्ठ

 मरने के समय अच्छी भावना (ध्यान-भजन) बनी रहे

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- धर्मानुरागिनी प्यारी जनता ! सन्त कबीर साहब ने कहा है " पिउ पिउ फरि करि कूकिए , ना पडि रहिये असरार । बार बार के कूकते , कबहुँक लगे पुकार ॥ " । .....इस तरह प्रारंभ करके गुरुदेव----सुमिरन की महिमा, सहज रूप सुमिरन क्या है? श्रीमद्भागवत गीता में सुमिरन,  कबीर वाणी में सुमिरन, सत्संग का उद्देश, ईश्वर दर्शन की लालसा, अभ्यास का महत्व,.....आदि बातों पर विशेष प्रकाश डालते हैं। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए पढ़ें-


५९. प्रारंभिक ध्यान


प्रारंभिक ध्यान कैसे करें



प्रारंभिक ध्यान  का शेष



इस प्रवचन के बाद वाले प्रवचन नंबर 60 को पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।



प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि सुमिरन की महिमा, सहज रूप सुमिरन क्या है? श्रीमद्भागवत गीता में सुमिरन,  कबीर वाणी में सुमिरन, सत्संग का उद्देश, ईश्वर दर्शन की लालसा, अभ्यास का महत्व इतनी जानकारी के बाद भी अगर कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।




सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
अगर आप "महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर"' पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस  जी महाराज के  अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो   यहां दबाएं।

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए  शर्तों के बारे में जानने के लिए.  यहां दवाएं।

S59, (ख) मरने के समय अच्छी भावना (ध्यान-भजन) बनी रहे, - महर्षि मेंही ।। 23-02-1954ई. कोरका S59, (ख)  मरने के समय अच्छी भावना (ध्यान-भजन) बनी रहे, - महर्षि मेंही  ।।  23-02-1954ई. कोरका Reviewed by सत्संग ध्यान on 7/20/2018 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।

Ad

Blogger द्वारा संचालित.