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S80, (ख) कर्म क्या है, कर्म के प्रकार, कर्म का सिद्धांत और कर्मफल व्याख्या ।। महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 80

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर ८० के बारे में। इसमें बताया गया है कि  कर्म क्या है, कर्म के प्रकार, कर्म का सिद्धांत और कर्मफल की पूरी व्याख्या ।

इसी प्रवचन को लेख रूप में पढ़ने के लिए    यहां दवाएं

कर्मफल को समझाते हुए सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज
कर्मफल पर चर्चा करते गुरुदेव

कर्म क्या है, कर्म के प्रकार, कर्म का सिद्धांत और कर्मफल व्याख्या

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- धर्मानुरागिनी प्यारी जनता ! सबलोग अपनी मंगल - कामना करते हैं सबलोग बराबर कर्म करते हैं । कर्म दो ही तरह के होते हैं - शुभ और अशुभ । .....   इस तरह प्रारंभ करके गुरुदेव----कर्म कितने प्रकार का होता है? पापी किसे कहते हैं ? पुण्यात्मा कौन है? पाप और पुण्य से क्या होता है? महाभारत में गुरु द्रोण कैसे मारे गए? झूठ बोलने के पाप से युधिष्ठिर को क्या मिला? पांचो पांडव सदेह स्वर्ग क्यों नहीं जा सके? मनुष्य के शरीर में कौन-कौन से गुण हैं? स्वर्ग लोक को इस आंख से क्यों नहीं देख सकते? दान, पुण्य करने से पाप कटता है कि नहीं? पाप से छूटने के क्या लक्षण है? पाप करने से कौन बच सकता है? क्रियमाण , सञ्चित और प्रारब्ध कर्म क्या है? प्रारब्ध का भोग कब तक होता है? ध्यान योगी प्रारब्ध के भोग कैसे भोगता है? सभी लोगों को किस बात से डरना चाहिए? श्री रामकृष्ण परमहंस के अनुसार संसार में कैसे रहना चाहिए? ध्यान में तरक्की के लिए क्या परहेज है?.....आदि बातों पर विशेष प्रकाश डालते हैं। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए निम्नलिखित चित्र में पढ़ें-

पाप, पुण्य और उसका परिणाम क्या है? इस पर प्रवचन करते हैं सद्गुरु महर्षि में हीं

कर्म और उसके परिणाम पर प्रवचन चित्र दो

पाप पुण्य और उसके परिणाम प्रवचन चित्र 3



इस प्रवचन के बाद वाले प्रवचन नंबर 81 को पढ़ने के लिए   यहां दबाएं


प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि संसार में पापी और पुण्यात्मा दो तरह के मनुष्य होते हैं। दोनों को अपने-अपने कर्मों का फल भोगना होता है। जो ध्यानयोगी होते हैं, वे दोनों तरह के कर्मो से ऊपर उठ जाते हैं। इत्यादि बातें।  इतनी जानकारी के बाद भी अगर कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।




सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
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S80, (ख) कर्म क्या है, कर्म के प्रकार, कर्म का सिद्धांत और कर्मफल व्याख्या ।। महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा S80, (ख)  कर्म क्या है, कर्म के प्रकार, कर्म का सिद्धांत और कर्मफल व्याख्या ।। महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा Reviewed by सत्संग ध्यान on 7/20/2018 Rating: 5

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